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निदेशक के विचार
डॉ. प्रशांत के. ढाकेफलकर
एमएसीएस-आघारकर अनुसंधान संस्थानमें आपका स्वागत है!विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के अंतर्गत एक स्वायत्त संस्थान के रूप में, यह संस्थान जीवन विज्ञान अनुसंधान में उत्कृष्टता के उच्चतम मानकों को बनाए रखते हुए समाज कल्याण हेतु प्रतिबद्ध है।
संस्थान की स्थापना 1946 में हुई थी, जो हमारे राष्ट्र की स्वतंत्रता से एक वर्ष पूर्व का समय था। तब से, यह संस्थान वनस्पति विज्ञान, रसायन विज्ञान, आनुवंशिकी और पादप प्रजनन, भूविज्ञान, सूक्ष्मजीव विज्ञान, कवक विज्ञान एवं प्राणिविज्ञान जैसे विषयों में समृद्ध और विकसित हुआ है।
अनुसंधान की प्रकृति के आधार पर, इन विषयों को विभिन्न विषयगत क्षेत्रों में वर्गीकृत किया गया है, जैसे:
- जैव विविधता औरपुराजीव विज्ञान
- जैव ऊर्जा
- जैवपूर्वेक्षण
- विकासात्मक जीवविज्ञान
- आनुवंशिकी और पादप प्रजनन
- नैनोजीवविज्ञान
संस्थान अत्याधुनिक प्रयोगशालाओं से सुसज्जित है, जो देशभर के विद्यार्थियों को विद्या वाचस्पति (पीएच.डी.) हेतु शोध कार्य करने के लिए आकर्षित करता है। यहाँ समर्पित और उत्साही अनुसंधानकर्ताओं के समूह चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों में कार्य कर रहे हैं, जिससे संस्थान में अनुसंधान अत्यंत रोचक और सार्थक बनता है।
सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय से संबद्ध होने के अलावा, एमएसीएस-आघारकर अनुसंधान संस्थान विभिन्न विश्वविद्यालय विभागों के साथ सतत् संवाद स्थापित करता है और साथ ही अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों के साथ भी सहयोग करता है। यह वैज्ञानिक उन्नति का एक प्रमुख केंद्र है, जो राष्ट्र और समाज के हित में योगदान देने के लिए सतत् प्रयासरत है।











