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डायटम संग्रह – आघारकर अनुसंधान संस्थान (एआरआई)
डायटम संग्रह का उपयोग जलवायु परिवर्तन, पर्यावरणीय पुनर्निर्माण, वंशानुक्रमिक (फायलोजेनेटिक) संबंधों और क्षमता निर्माण गतिविधियों से संबंधित वैज्ञानिक प्रश्नों के उत्तर खोजने के लिए किया जाता है।
यह संग्रह भारत के विभिन्न जैव-भौगोलिक क्षेत्रों से प्राप्त है, जो मीठे जल (फ्रेश वॉटर), लवणयुक्त जल (ब्रैकिश वॉटर) और समुद्री (मरीन) आवासों का प्रतिनिधित्व करता है। संग्रह में डायाटम की सभी प्रमुख श्रेणियाँ, जीवित और विलुप्त दोनों, सम्मिलित हैं।
हमारे हर्बेरियम में उपलब्ध सबसे पुराना संग्रह 1940 के दशक का है, जिसे एच. पी. गांधी द्वारा पश्चिमी भारत के विभिन्न भागों से एकत्र किया गया था।
सामग्री प्रकार
- सूक्ष्मदर्शक स्लाइड संग्रह: 9000
- बोतल संग्रह: 4500
- डायटम युक्त तलछट एवं कलाकृतियाँ: 150
अन्य संसाधन
- एसइएम (SEM) नमूना धारक (स्टब्स)
- अस्थायी नमूना-प्रस्तुति (स्ट्रूज़)
- प्रकाश सूक्ष्मदर्शी सूक्ष्मचित्र (एल एम माइक्रोग्राफ्स)
- एसइएम (स्कैनिंग इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप) छवियाँ
- एच. पी. गांधी की हस्तलिखित टिप्पणियाँ
- एच. पी. गांधी के रेखाचित्र एवं चित्रण
- वर्गिकी साहित्य (टैक्सोनॉमिक लिटरेचर)
- डीआईसी माइक्रोस्कोप्स (डिफरेंशियल इंटरफेरेंस कॉन्ट्रास्ट माइक्रोस्कोप्स)
संवर्धन संग्रह
हमारा संग्रह भारत से चयनित मीठे जल एवं समुद्री डायाटम की संवर्धनों को भी संजोता है।











