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आजरेकर मायकोलॉजिकल हर्बेरियम(एएमएच)

पश्चिम भारत में शोधकर्ताओं द्वारा तुलनात्मक एवं एकविषयक (मोनोग्राफिक) अध्ययन हेतु एक माइकोलॉजिकल हर्बेरियम की स्थापना की आवश्यकता अत्यधिक महसूस की गई थी। प्रो. एम.एन. कामत के सक्षम मार्गदर्शन में, इस विभाग में सन् 1968 में माइकोलॉजिकल हर्बेरियम की स्थापना की गई। इसे राज्य के अग्रणी कवकविज्ञानी (माइकोलॉजिस्ट) तथा इस विभाग के प्रथम अध्यक्ष, स्वर्गीय प्रो. एस.एल. आजरेकर के सम्मान में नामित किया गया।
इस माइकोलॉजिकल हर्बेरियम का संक्षिप्त नाम ‘एएमएच’ (आजरेकर माइकोलॉजिकल हर्बेरियम) सन् 1974 में इंडेक्स हर्बेरियोरम भाग–1 में सम्मिलित किया गया, जिससे इसे अंतर्राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त हुई। तब से कवकीय नमूनों का अधिग्रहण, सत्यापन, संधारण एवं प्रविष्टि, तथा विश्वप्रसिद्ध हर्बेरिया जैसे एचसीआईओ (नई दिल्ली, भारत), सीएमआई (इंग्लैंड), स्टॉकहोम (स्वीडन), अर्जेंटीना, पाडोवा (इटली), रॉयल बॉटैनिक गार्डन (इंग्लैंड) आदि के साथ प्रकार नमूनों (Type Specimens)का आदान-प्रदान यहाँ की नियमित गतिविधियाँ रही हैं।
वर्तमान में एएमएच में लगभग 9500 कवकीय (फंगल) नमूने एवं लगभग 30,000 लाइकेन (शैवाल-कवक सहजीवी) नमूने संधारित हैं। इनमें कई उल्लेखनीय देशज वंशों (जेनरा) एवं प्रजातियों (स्पीशीज़) के होलोटाइप्स, आइसोटाइप्स एवं असली नमूने सम्मिलित हैं।
भारतीय शोधकर्ताओं से प्राप्त सुव्यवस्थित कवकीय संग्रहालय नमूनों को प्रमाणीकरण, संधारण एवं प्रविष्टि हेतु आजरेकर माइकोलॉजिकल हर्बेरियम (एएमएच) में स्वीकार किया जाता है। नमूनों के साथ विधिवत भरा हुआ एवं हस्ताक्षरित प्रपत्र–5( Form 5) प्रस्तुत करना अनिवार्य है।











