जीवाश्म रिपॉजिटरी

आघारकर अनुसंधान संस्थान में जीवाश्मरिपॉजिटरी की स्थापना सन् 1969 में बाघ स्तरों (ऊपरी क्रिटेशियस) से प्राप्त जीवाश्म नमूनों के जमा होने के साथ हुई थी। यह रिपॉजिटरी एक समृद्ध संग्रह को संजोए हुए है, जिसमें सभी प्रमुख जीवाश्म समूह शामिल हैं — जैसे कि द्विकपाटी (बायव्हॉल्व्हस), शंखपाद (गैस्ट्रोपॉड्स), शीर्षपाद (सेफालोपोड्स), समुद्री कर्कटक (एन्चिनोइड्स), भुजपाद (ब्रान्चिओपॉडस), सर्पुलिड्स, पौधों के जीवाश्म तथा मीठे पानी के कशेरुकी जीव।

 यह जीवाश्म रिपॉजिटरी भारत में सबसे बड़ी और प्राचीन प्रमात्रा जीवाश्मों (ट्रेस फॉसिल्स) का संग्रह होने के लिए भी प्रसिद्ध है। इसमें लगभग 7000 प्रकार-नमूने (4200 गुरुजीवाश्म और 2800 सूक्ष्मजीवाश्म) संग्रहित हैं। भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई), कोलकाता और बीएसआईपी, लखनऊ के बाद यह भारत का तीसरी सबसे बड़ी जीवाश्म रिपॉजिटरी है।

 इस रिपॉजिटरी में प्रायद्वीपीय भारत के लगभग सभी अवसादी द्रोणीयों (सेडीमेंटरी बेसिन्स) से प्राप्त नमूने शामिल हैं — जिनमें तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान आदि राज्य आते हैं। ये जीवाश्म प्राचीन प्रोटेरोज़ोइक काल से लेकर नवीनतम होलोसीन काल तक के हैं।

 यह रिपॉजिटरी केवल भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया भर के पुराजीवविज्ञानियों (पालिओंटोलॉजिस्ट) और प्रमात्रा जीवाश्मविज्ञानियों (इक्नोलॉजिस्ट) द्वारा नियमित रूप से अध्ययन हेतु परामर्शित की जाती है। संस्थान के वैज्ञानिकों और शोधार्थियों द्वारा संस्थागत तथा प्रायोजित परियोजनाओं के अंतर्गत की गई संग्रहणीय गतिविधियों ने इस जीवाश्म रिपॉजिटरी को निरंतर समृद्ध किया है।

Collections made from in-house and sponsored projects by scientists and research students have continually enriched the fossil repository.